पाठ परिचय: बुद्धिर्बलवती सदा
यह पाठ “शुकसप्ततिः” नामक नीति–कथाग्रंथ से लिया गया है। इसमें बुद्धिमती नामक स्त्री की चतुराई और साहस को दर्शाया गया है, जो अपने दो पुत्रों के साथ जंगल में यात्रा करते समय एक बाघ का सामना करती है। यह कहानी बताती है कि बुद्धि बल से अधिक प्रभावशाली होती है।
🗣️ मूल संस्कृत पाठ और हिन्दी अनुवाद
1. अस्ति देउलाख्यो ग्रामः। तत्र राजसिंहः नाम राजपुत्रः वसति स्म।
हिन्दी: देउल नाम का एक गाँव है। वहाँ राजसिंह नाम का राजपुत्र रहता था।
2. एकदा केनापि आवश्यककार्येण तस्य भार्या बुद्धिमती पुत्रद्वयोपेता पितुर्गृहं प्रति चलिता।
हिन्दी: एक दिन किसी आवश्यक कार्य से उसकी पत्नी बुद्धिमती अपने दो पुत्रों के साथ पिता के घर की ओर चली।
3. मार्गे गहनकानने सा एकं व्याघ्रं ददर्श।
हिन्दी: रास्ते में घने जंगल में उसने एक बाघ को देखा।
4. सा व्याघ्रमागच्छन्तं दृष्ट्वा धाष्ट्यार्त् पुत्रौ चपेटया प्रहृत्य जगाद—
“कथमेकैकशो व्याघ्रभक्षणाय कलहं कुरुथः? अयमेकस्तावद्विभज्य भुज्यताम्। पश्चाद् अन्यो द्वितीयः कश्चिल्लक्ष्यते।” हिन्दी: बाघ को आते देख उसने ढिठाई से दोनों पुत्रों को थप्पड़ मारते हुए कहा— “तुम दोनों एक-एक करके इस बाघ को खाने के लिए क्यों झगड़ रहे हो? इसे बाँटकर खा लो। बाद में दूसरा बाघ ढूँढ लिया जाएगा।”
🐅 व्याघ्र की प्रतिक्रिया
5. इति श्रुत्वा व्याघ्रमारी काचिदियमिति मत्वा व्याघ्रो भयाकुलचित्तो नष्टः।
हिन्दी: यह सुनकर बाघ ने सोचा—यह कोई बाघ मारने वाली स्त्री है। डर के मारे वह वहाँ से भाग गया।
6. निजबुद्ध्या विमुक्ता सा भयाद् व्याघ्रस्य भामिनी। अन्योऽपि बुद्धिमाँल्लोके मुच्यते महतो भयात्॥
हिन्दी: वह रूपवती स्त्री अपनी बुद्धि से बाघ के भय से मुक्त हो गई। संसार में अन्य बुद्धिमान भी इसी प्रकार बड़े भय से मुक्त होते हैं।
🦊 शृगाल का प्रवेश
7. भयाकुलं व्याघ्रं दृष्ट्वा कश्चित् धूर्तः शृगालः हसन्नाह—
“भवान् कुतः भयात् पलायितः?” हिन्दी: भयभीत बाघ को देखकर एक धूर्त शृगाल हँसते हुए बोला—“तुम किस डर से भागे?”
8. व्याघ्रः—गच्छ, गच्छ जम्बुक! त्वमपि किञ्चिद् गूढप्रदेशम्।
यतो व्याघ्रमारीति या शास्त्रे श्रूयते, तयाहं हन्तुमारब्धः। परं गृहीतकरजीवितो नष्टः शीघ्रं तदग्रतः। हिन्दी: बाघ बोला—जाओ, जाओ सियार! तुम भी किसी गुप्त स्थान में छिप जाओ। क्योंकि जिसे शास्त्रों में ‘बाघ मारने वाली’ कहा गया है, वही मुझे मारने वाली थी। मैं जान हथेली पर लेकर उसके सामने से भाग गया।
🤔 शृगाल की योजना
9. शृगालः—व्याघ्र! त्वया महत्कौतुकम् आवेदितं यन्मानुषादपि बिभेषि?
हिन्दी: बाघ! तुमने बड़ा आश्चर्य बताया कि तुम मनुष्य से भी डरते हो?
10. व्याघ्रः—प्रत्यक्षमेव मया सात्मपुत्रावेकैकशो मामत्तुं कलहायमानौ चपेटया प्रहरन्ती दृष्टा।
हिन्दी: मैंने स्वयं देखा कि वह स्त्री अपने दोनों पुत्रों को मुझे खाने के लिए झगड़ते हुए थप्पड़ मार रही थी।
🪤 शृगाल की चाल
11. जम्बुकः—स्वामिन्! यत्रास्ते सा धूर्ता तत्र गम्यताम्।
व्याघ्र! तव पुनः तत्र गतस्य सा सम्मुखमपीक्षते यदि, तर्हि त्वया अहं हन्तव्यः। हिन्दी: मालिक! जहाँ वह धूर्त स्त्री है, वहाँ चलिए। यदि वहाँ पहुँचने पर वह सामने दिखे, तो आप मुझे मार देना।
12. व्याघ्रः—शृगाल! यदि त्वं मां मुक्त्वा यासि तदा वेलाप्यवेला स्यात्।
हिन्दी: सियार! यदि तुम मुझे छोड़कर चले गए, तो समय विपरीत हो जाएगा।
13. जम्बुकः—यदि एवं तर्हि मां निजगले बद्ध्वा चल सत्वरम्।
हिन्दी: यदि ऐसा है, तो मुझे अपने गले में बाँधकर जल्दी चलो।
🧠 बुद्धिमती की प्रत्युत्पन्नमति
14. शृगालेन सहितं पुनरायान्तं व्याघ्रं दूरात् दृष्ट्वा बुद्धिमती चिन्तितवती—
जम्बुककृतोत्साहात् व्याघ्रात् कथं मुच्यताम्? हिन्दी: सियार के साथ लौटते हुए बाघ को दूर से देखकर बुद्धिमती सोचने लगी—सियार द्वारा उत्साहित बाघ से कैसे बचा जाए?
15. परं प्रत्युत्पन्नमतिः सा जम्बुकमाक्षिपन्त्यङ्गुल्या तर्जयन्त्युवाच—
“रे रे धूर्त! त्वया दत्तं मह्यं व्याघ्रत्रयं पुरा। विश्वास्याद्यैकमानीय कथं यासि वदाधुना।” हिन्दी: लेकिन तुरंत बुद्धि से काम लेते हुए उसने सियार को डाँटते हुए कहा— “अरे धूर्त! पहले तुमने मुझे तीन बाघ दिए थे। आज एक ही लाकर कैसे जा रहे हो? अब बताओ।”
🏃♂️ अंतिम दृश्य
16. इत्युक्त्वा धाविता तूर्णं व्याघ्रमारी भयङ्करा।
व्याघ्रोऽपि सहसा नष्टः गलबद्धशृगालकः॥ हिन्दी: ऐसा कहकर वह भय उत्पन्न करने वाली स्त्री बाघ की ओर दौड़ी। बाघ भी गले में बँधे सियार को लेकर तुरंत भाग गया।
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निष्कर्ष श्लोक
बुद्धिर्बलवती तन्वि सर्वकार्येषु सर्वदा॥
हिन्दी: हे सुन्दर स्त्री! सभी कार्यों में हमेशा बुद्धि ही बलवान होती है।
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