कक्षा 9 संस्कृत – अध्याय 7: सिकतासेतुः
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✨ अध्याय सारांश (हिंदी में):
यह पाठ एक प्रेरणादायक कथा है जिसमें तपोदत्त नामक व्यक्ति अपने जीवन की भूलों को सुधारने के लिए तपस्या करता है। वह शिक्षा के महत्व को समझता है और ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रयास करता है। एक दृश्य में वह एक व्यक्ति को रेत से पुल बनाते हुए देखता है और पहले उसका उपहास करता है, लेकिन बाद में उसकी दृढ़ संकल्प और प्रयास से प्रेरित होकर स्वयं भी प्रयासरत हो जाता है। यह पाठ हमें सिखाता है कि संकल्प और प्रयास से असंभव भी संभव हो सकता है।

📝 NCERT अभ्यास प्रश्नों के उत्तर:
प्रश्न 1: एकवाक्ये उत्तर लिखनम्
(क) कः बाल्ये लीलां न अकरोत्?
👉 तपसेनः।
(ख) तपसेनः कृता विभामा अवगायुः प्रुणः अस्ति?
👉 तपसेनः।
(ग) महर्षिणः च: शिलायाः: सन्धुं कृत्वम्?
👉 महर्षयः।
(घ) माङ्गल्यस्य: सत्यं किम् अस्ति?
👉 गृहं।
(ङ) गृहं सिक्त्वा: किं करोति?
👉 सर्गनिर्माणं प्रयत्नम्।
प्रश्न 2: रिक्तस्थानपूर्तिः
(क) तपसेनः बाल्ये लीलां न __________।
👉 अकरोत्।
(ख) महर्षयः शिलायाः सन्धिं __________।
👉 अकुर्वन्।
(ग) गृहं सिक्त्वा सर्गनिर्माणं __________।
👉 करोति।
(घ) माङ्गल्यस्य सत्यं __________ अस्ति।
👉 गृहं।
(ङ) तपसेनः कृता विभामा __________ अस्ति।
👉 अवगायुः प्रुणः।
प्रश्न 3: वाक्यानि रचयन्तु
(क) तपसेनः बाल्ये लीलां न अकरोत्।
(ख) महर्षयः शिलायाः सन्धिं अकुर्वन्।
(ग) गृहं सिक्त्वा सर्गनिर्माणं करोति।
(घ) माङ्गल्यस्य सत्यं गृहं अस्ति।
(ङ) तपसेनः कृता विभामा अवगायुः प्रुणः अस्ति।
प्रश्न 4: संस्कृत वाक्यानां हिन्दी अनुवाद लिखिए
(क) तपसेनः बाल्ये लीलां न अकरोत्।
👉 तपसेन ने बचपन में खेल नहीं किया।
(ख) महर्षयः शिलायाः सन्धिं अकुर्वन्।
👉 महर्षियों ने पत्थरों की जोड़ बनाई।
(ग) गृहं सिक्त्वा सर्गनिर्माणं करोति।
👉 घर को सींचकर निर्माण का प्रयास करता है।
(घ) माङ्गल्यस्य सत्यं गृहं अस्ति।
👉 शुभता का सत्य घर है।
(ङ) तपसेनः कृता विभामा अवगायुः प्रुणः अस्ति।
👉 तपसेन द्वारा की गई विभा गायी गई प्रार्थना है।

प्रश्न 5: कथन – कः कं प्रति कथयति?
| कथन | वक्ता | श्रोता |
|---|---|---|
| हा विधे! किमिदं मया कृतम्? | तपोदत्तः | स्वयं |
| भो महाशय! किमिदं विधीयते? | तपोदत्तः | पुरुषम् |
| भोस्तपस्विन्! कथं माम् उपरूणत्सि? | पुरुषः | तपोदत्तम् |
| सिकताः जलप्रवाहे स्थास्यन्ति किम्? | तपोदत्तः | पुरुषम् |
| नाहं जाने कोऽस्ति भवान्? | तपोदत्तः | पुरुषम् |
प्रश्न 6: संस्कृत वाक्यानां हिन्दी अनुवाद लिखिए
तपसेनः बाल्ये लीलां न अकरोत।
👉 तपसेन ने बचपन में खेल नहीं किया।
महर्षयः शिलायाः सन्धिं अकुर्वन्।
👉 महर्षियों ने पत्थरों की जोड़ बनाई।
गृहं सिक्त्वा सर्गनिर्माणं करोति।
👉 घर को सींचकर निर्माण का प्रयास करता है।
माङ्गल्यस्य सत्यं गृहं अस्ति।
👉 शुभता का सत्य घर है।
तपसेनः कृता विभामा अवगायुः प्रुणः अस्ति।
👉 तपसेन द्वारा की गई विभा गायी गई प्रार्थना है।
प्रश्न 7: वाक्यानि रचयन्तु
- तपसेनः बाल्ये लीलां न अकरोत।
- महर्षयः शिलायाः सन्धिं अकुर्वन्।
- गृहं सिक्त्वा सर्गनिर्माणं करोति।
- माङ्गल्यस्य सत्यं गृहं अस्ति।
- तपसेनः कृता विभामा अवगायुः प्रुणः अस्ति।

व्याकरण संबंधित जानकारी (Grammar Highlights)
- धातु रूप: ✔ अकरोत् – √कृ धातु का लट् लकार रूप ✔ अकुर्वन् – √कृ धातु का बहुवचन रूप ✔ करोति – वर्तमानकाल में √कृ धातु का एकवचन रूप
- सर्वनाम: ✔ अहं, मया, तव, भवता, भवद्भिः – ये सभी सर्वनाम हैं जो वाक्य में कर्ता या कर्म के रूप में प्रयुक्त हुए हैं।
- विभक्ति प्रयोग: ✔ शिलायाः – षष्ठी विभक्ति ✔ सन्धिं – द्वितीया विभक्ति ✔ गुरुकुलम् – द्वितीया विभक्ति
अतिरिक्त प्रश्न अभ्यास के लिए (Extra Questions)
तपोदत्तः ने शिक्षा प्राप्ति के लिए क्या संकल्प लिया?
👉 उसने तपस्या द्वारा ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास किया।
सिकतासेतुः शब्द का अर्थ क्या है?
👉 रेत से बना हुआ पुल – जो असंभव प्रतीत होता है।
पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
👉 दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास से असंभव कार्य भी संभव हो सकता है।
गुरुकुलम्’ शब्द में कौन सी विभक्ति है?
👉 द्वितीया विभक्ति एकवचन।
‘सेतुनिर्माणं’ शब्द का विग्रह कीजिए।
👉 सेतु + निर्माणं = पुल का निर्माण
निष्कर्ष (Conclusion):
अध्याय “सिकतासेतुः” केवल एक कथा नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है। यह विद्यार्थियों को सिखाता है कि ज्ञान प्राप्ति के लिए केवल तपस्या नहीं, बल्कि सही दिशा में प्रयास आवश्यक है। तपोदत्त की यात्रा हमें बताती है कि उपहास से प्रेरणा तक का सफर केवल संकल्प और आत्मचिंतन से संभव है।



