Class 9 Sanskrit Chapter 8 Question Answer
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Class 9 Sanskrit Chapter 8 Question Answer

by | Sep 6, 2025 | 0 comments

Class 9 Sanskrit – Chapter 8: जटायोः शौर्यम् (Jatayu’s Bravery)

📝 अभ्यास प्रश्नोत्तराणि (Textbook Questions & Answers)

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🔹 प्रश्न 1: एकपदेन उत्तरं लिखत

  • (क) आयतलोचना का अस्ति? ➤ सीता
  • (ख) सा कं ददर्श? ➤ जटायुम् / गृध्रम्
  • (ग) खगोत्तमः कीदृशीं गिरं व्याजहार? ➤ शुभाम्
  • (घ) जटायुः काभ्यां रावणस्य गात्रे व्रणं चकार? ➤ तीक्ष्णनखाभ्याम्
  • (ङ) अरिन्दमः खगाधिपः कति बाहून् व्यपाहरत्? ➤ दश

🔹 प्रश्न 2: संस्कृतभाषया उत्तरं लिखत

  • (क) “जटायो! पश्य” इति का वदति? ➤ वैदेही (सीता)
  • (ख) जटायुः रावणं किं कथयति? ➤ “रावण! परस्त्रीस्पर्शात् नीचां मतिं निवर्तय।”
  • (ग) क्रोधवशात् रावणः किं कर्तुम् उद्यतः अभवत्? ➤ तलेन आशु अभिजघान।
  • (घ) पतगेश्वरः रावणस्य कीदृशं चापं सशरं बभञ्ज? ➤ मुक्तामणिविभूषितं चापं सशरं।
  • (ङ) जटायुः केन वामबाहुं दंशति? ➤ तुण्डेन

🔹 प्रश्न 3: णिनि-प्रत्ययप्रयोगं कृत्वा पदानि रचयत

  • (क) कवच + णिनि → कवचिन् (कवची)
  • (ख) शर + णिनि → शरिन् (शरी)
  • (ग) कुशल + णिनि → कुशलिन् (कुशली)
  • (घ) धन + णिनि → धनिन् (धनी)
  • (ङ) दण्ड + णिनि → दण्डिन् (दण्डी)

🔹 प्रश्न 4: विशेषणानि पृथक् कृत्वा लिखत

  • रावणः — युवा, सशरः, सरथः, कवची
  • जटायुः — वृद्धः, महाबलः, पतगसत्तमः, भग्नधन्वा, महागृध्रः, खगाधिपः, क्रोधमूर्च्छितः, पतगेश्वरः, शरी

🔹 प्रश्न 5: पर्याय शब्द योजयत

पद (क स्तम्भ)पर्याय (ख स्तम्भ)
कवचीकवचधारी
आशुशीघ्रम्
विरथःरथविहीनः
पपातअपतत्
भुविपृथिव्याम्
पतगसत्तमःपक्षिश्रेष्ठः

प्रश्न 4: ‘क’ स्तम्भे लिखितानां पदानां ‘ख’ स्तम्भे लिखिताः तान् यथासम्भवं योजनत

क स्तम्भख स्तम्भसही युग्म
कवचिकवचधारीकवचि — कवचधारी
आषुरथविहीनःआषु — (शीघ्रम् is ideal, not present)
विहगःपक्षिश्रेष्ठःविहगः — पक्षिश्रेष्ठः
पापात्शौर्यम्पापात् — (पुण्यकर्म is ideal)
भूमिपृथिव्याम्भूमि — पृथिव्याम्
पतसन्तःअपतत्पतसन्तः — अपतत्

🔹 Note: Some ideal matches like “शीघ्रम्” and “पुण्यकर्म” are not in the ख स्तम्भ but are conceptually correct.

🟦 प्रश्न 5: विलोमपदानि लिखत (Write Antonyms)

पदविलोमपद
1) विप्लवःमदम्
2) पापकर्मपुण्यकर्म
3) राक्षसेन्द्रःदेवेन्द्रः
4) शिशुःयुवा
5) बुढःशिशुः
6) वामःदक्षिणः
7) अतिक्रमःअनतिक्रमः

🟦 प्रश्न 6 (अ): विशेषणपदानि प्रयुज्य संस्कृतवाक्यानि रचयत

विशेषणपदवाक्य
(क) शुभम्शुभं कर्म कुर्वन्ति छात्राः।
(ख) खगाधिपःखगाधिपः जटायुः रावणं युद्धाय आमन्त्रयत्।
(ग) हस्तसारथिःहस्तसारथिः अर्जुनः रथं सम्यक् चालयति।
(घ) वामेनवामेन हस्तेन सः लेखं लिखति।
(ङ) कवचंसैनिकः कवचं धारयति युद्धे।

🟦 प्रश्न 6 (अ) [Hindi]: उदाहरणानुसार समस्त पदं रचयत

उदाहरण: त्रयाणां लोकानां समाहारः → त्रिलोकि

वाक्यांशसमस्त पद
(क) पञ्चानां वटानां समाहारःपञ्चवटी
(ख) सप्तानां पदानां समाहारःसप्तपदी
(ग) अष्टानां भुजानां समाहारःअष्टभुजी
(घ) चतुष्पर्णं मुखानां समाहारःचतुर्मुखी

Final Conclusion of Chapter – जटायोः शौर्यम्

“जटायोः शौर्यम्” पाठ हमें एक महान पक्षिराज जटायुः की वीरता और धर्मनिष्ठा की प्रेरणादायक कथा सुनाता है। जब रावण सीता का अपहरण कर रहा था, तब जटायुः ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना उसका सामना किया। यह पाठ न केवल साहस और बलिदान की मिसाल प्रस्तुत करता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना ही सच्चा धर्म है।

जटायुः का चरित्र हमें यह संदेश देता है कि जीवन में नैतिकता, कर्तव्य और साहस सबसे बड़ी शक्तियाँ हैं। यह पाठ विद्यार्थियों को वीरता, धर्मपालन और आत्मबल के महत्व को समझने में सहायक है।

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