कक्षा 9 संस्कृत – पाठ 4: सूक्तिमौक्तिकम् | प्रश्नोत्तर सहित सम्पूर्ण समाधान
प्रस्तुतकर्ता: Convex Classes Jaipur | madhav Joshi (content expert )
पाठ परिचय: “सूक्तिमौक्तिकम्” क्या है?
“सूक्तिमौक्तिकम्” का अर्थ है – नीतिपूर्ण वचनों के मोती। यह पाठ संस्कृत के प्रसिद्ध ग्रंथों जैसे विदुरनीति, हितोपदेश, और नीतिशतक से लिए गए श्लोकों का संग्रह है। इसमें जीवन के लिए उपयोगी नीति, सदाचार, मित्रता, वाणी की मधुरता, और परोपकार जैसे विषयों पर प्रकाश डाला गया है।

NCERT प्रश्नोत्तर | कक्षा 9 संस्कृत – पाठ 4: सूक्तिमौक्तिकम्
प्रश्न 1: एकपदेन उत्तरं लिखत।
(क) वृत्तं रक्षेत् वित्तं याति।
👉 उत्तर: अक्षीणः
(ख) आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत।
👉 उत्तर: आत्मनः
(ग) प्रियवाक्यप्रदानेन जन्तवः तुष्यन्ति।
👉 उत्तर: प्रियवाक्यप्रदानेन
(घ) वृक्षा: फलानि न खादन्ति।
👉 उत्तर: फलानि
(ङ) सज्जनानां मैत्री वृद्धिमती भवति।
👉 उत्तर: मैत्री
प्रश्न 2: संस्कृत में उत्तर लिखिए।
(क) वृत्तं रक्षेत् वित्तं याति।
👉 यत्नेन वृत्तं रक्षेत्।
(ख) आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत।
👉 आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत।
(ग) प्रियवाक्यप्रदानेन जन्तवः तुष्यन्ति।
👉 प्रियवाक्यप्रदानेन जन्तवः तुष्यन्ति।
(घ) सज्जनानां मैत्री वृद्धिमती भवति।
👉 सज्जनानां मैत्री पुरा लघ्वी, पश्चात् वृद्धिमती भवति।
(ङ) मरालैः सह वियोगे सरोवराणां हानिः भवति।
👉 मरालैः सह वियोगे सरोवराणां हानिः भवति।
प्रश्न 3: विशेषण-विशेष्य युग्मानि लिखत।
विशेषण | विशेष्य |
---|---|
आस्वाद्यतोयाः | नद्यः |
गुणयुक्तः | दरिद्रः |
पूर्वार्द्धभिन्ना | खलानां मैत्री |
परार्द्धभिन्ना | सज्जनानां मैत्री |
प्रश्न 4: श्लोकों का आशय लिखिए।
श्लोक: “प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः। तस्मात् तद् दरिद्रत्वं वचने न कदाचन॥”
👉 भावार्थ: सभी प्राणी मधुर वाणी से प्रसन्न होते हैं। इसलिए वाणी में दरिद्रता नहीं होनी चाहिए।
श्लोक: “आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण लघ्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात्। दिनस्य पूर्वार्द्धपरार्द्धभिन्ना छायानुकारेण खलस्य मैत्री॥”
👉 भावार्थ: खल व्यक्ति की मित्रता पहले भारी लगती है, पर धीरे-धीरे क्षीण हो जाती है। सज्जन की मित्रता पहले छोटी होती है, पर समय के साथ गहरी हो जाती है।
प्रश्न 5: अधोलिखितपदेषु भिन्नप्रकृतिकं पदं चिन्तय लिखत।
(क) कर्तव्यम्, कर्तव्यात्, सर्वत्रकर्म, हन्तव्यम्।
👉 उत्तर: सर्वत्रकर्म (अन्य सभी क्रियावाचक हैं)
(ख) यत्नेन, वचने, प्रियवचश्रवणेन, मरणेन।
👉 उत्तर: प्रियवचश्रवणेन (संयुक्त शब्द, अन्य सामान्य क्रिया साधक)
(ग) श्रेयसा, अशुभायायाम्, धनतया, क्षयतया।
👉 उत्तर: अशुभायायाम् (अन्य सभी तया-प्रत्ययान्त हैं)
(घ) जनकः, नतः, विभूतयः, पारितः।
👉 उत्तर: जनकः (अन्य सभी अव्यय या विशेषण हैं)
प्रश्न 6: स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्नवाक्यनिर्माणं कुरुत।
(क) वृत्ततः क्षीणः हतः भवति।
👉 प्रश्न: कः वृत्ततः क्षीणः हतः भवति?
(ख) धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा अवधार्यताम्।
👉 प्रश्न: कः धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा अवधार्यताम्?
(ग) वृक्षा: फलं न खादन्ति।
👉 सही उत्तर: के फलानि न खादन्ति? – वृक्षाः
(घ) खलानाम् मैत्री आसम्भवुर्वी भवति।
👉 प्रश्न: कस्य मैत्री आसम्भवुर्वी भवति?

प्रश्न 7: लोट् लकार प्रयोग (आज्ञार्थक रूपांतरण)
(क) नन्दः आवश्यतायाः सीतां वदति
👉 नन्दः आवश्यतायाः सीतां वदतु।
(ख) सः सर्वदा प्रियवाक्यं वदति
👉 सः सर्वदा प्रियवाक्यं वदतु।
(ग) त्वं मम प्रति कूलानि न समाचरस्य
👉 त्वं मम प्रति कूलानि न समाचर।
(घ) ते वृत्तं यथेनं संसृजिताः
👉 ते वृत्तं यथेनं संसृजन्तु।
(ङ) अहं पथिकाय मार्गं दर्शयामि
👉 अहं पथिकाय मार्गं दर्शयाम्।
निष्कर्ष: नीति और संस्कार का संगम
“सूक्तिमौक्तिकम्” हमें सिखाता है कि वाणी की मधुरता, चरित्र की रक्षा, और परोपकार ही जीवन की सच्ची पूंजी हैं। Convex Classes Jaipur में हम संस्कृत को सिर्फ एक विषय नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला मानते हैं।