Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 1 कुशलप्रशासनम् full NCERT solutions
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Ncert Solutions for Class 11 Sanskrit Bhaswati Chapter 1

by | Sep 12, 2025 | 0 comments

Class 11 Sanskrit Bhaswati – Chapter 1: कुशलप्रशासनम्

CBSE NCERT Full Solutions | Convex Classes Jaipur | 2025 Edition

अध्याय परिचय:

यह पाठ रामायण के अयोध्याकाण्ड से लिया गया है, जिसमें श्रीराम भरत को एक आदर्श राजा के गुणों, मंत्रणा की गोपनीयता, योग्य अमात्य और सेनापति की विशेषताओं के बारे में बताते हैं। पाठ का उद्देश्य छात्रों को प्रशासनिक नैतिकता, नेतृत्व और नीति के मूल सिद्धांतों से परिचित कराना है।

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अभ्यास प्रश्नों के उत्तर (सभी 7 प्रश्न – विस्तृत व्याख्या सहित)

प्रश्न 1: संस्कृतेन उत्तरं देयम्

(क) अयम् पाठः कस्मात् ग्रन्थात् सङ्कलितः?

👉 उत्तर: अयम् पाठः रामायणात् सङ्कलितः।

📌 व्याख्या: यह श्लोक अयोध्याकाण्ड से लिया गया है, जिसमें श्रीराम भरत को शासन के सिद्धांत सिखाते हैं।

(ख) जटिलं चीरवसनः भुवि पतितः कः आसीत्?

👉 उत्तर: जटिलं चीरवसनः भुवि पतितः भरतः आसीत्।

📌 व्याख्या: भरत वनवासी वेश में श्रीराम से मिलने आए थे और भावुक होकर उनके चरणों में गिर पड़े।

(ग) रामः कम् पाणिना परिजग्राह?

👉 उत्तर: रामः भरतम् पाणिना परिजग्राह।

📌 व्याख्या: श्रीराम ने भरत को स्नेहपूर्वक हाथ पकड़कर उठाया, जिससे उनके भाईचारे और प्रेम का भाव प्रकट होता है।

(घ) भरतम् कः अपृच्छत्?

👉 उत्तर: भरतम् रामः अपृच्छत्।

📌 व्याख्या: श्रीराम ने भरत से राज्य संचालन और मंत्रणा की स्थिति के बारे में प्रश्न किए।

(ङ) राज्ञां विजयमूलं किं भवति?

👉 उत्तर: राज्ञां विजयमूलं मन्त्रः भवति।

📌 व्याख्या: एक राजा की सफलता का मूल मंत्रणा होती है — अर्थात् योग्य सलाह और गोपनीयता।

(च) राज्ञः कृते कीदृशः अमात्यः क्षेमकरः भवेत्?

👉 उत्तर: मेधावी, शूरः, दक्षः, विचक्षणः च अमात्यः क्षेमकरः भवेत्।

📌 व्याख्या: राजा के लिए ऐसा मंत्री लाभकारी होता है जो बुद्धिमान, साहसी, कुशल और विवेकशील हो।

(छ) सेनापतिः कीदृग् गुणयुक्तः भवेत्?

👉 उत्तर: धृष्टः, शूरः, धृतिमान्, मतिमान्, शुचिः, कुलीनः, अनुरक्तः, दक्षः च भवेत्।

📌 व्याख्या: सेनापति को साहसी, धैर्यवान, बुद्धिमान, शुद्ध चरित्र वाला, कुलीन और राजा के प्रति निष्ठावान होना चाहिए।

(ज) बलेभ्यः यथाकालं किं दातव्यम्?

👉 उत्तर: भक्तं वेतनं दातव्यम्।

📌 व्याख्या: सैनिकों को समय पर भोजन और वेतन देना आवश्यक है ताकि वे संतुष्ट और प्रेरित रहें।

(झ) मन्त्रः कीदृशः भवति?

👉 उत्तर: सुसंवृतः भवति।

📌 व्याख्या: मंत्रणा गोपनीय होनी चाहिए; यदि यह सार्वजनिक हो जाए तो शासन अस्थिर हो सकता है।

(ञ) मेधावी अमात्यः राजानं काम् प्रापयेत्?

👉 उत्तर: महतीं श्रियं प्रापयेत्।

📌 व्याख्या: बुद्धिमान मंत्री राजा को महान समृद्धि और सफलता की ओर ले जाता है।

प्रश्न 2: रिक्तस्थानपूर्तिः क्रियताम्

  • (क) रामः ददर्श दुर्दर्श युगान्ते भास्करं यथा।
  • (ख) अङ्के भरतम् आरोप्य रामः सादर पर्यपृच्छत।
  • (ग) कच्चित् काले अवबुध्यसे?
  • (घ) पण्डितः हि अर्थकृच्छेषु महत् निःश्रेयसं कुर्यात्।
  • (ङ) श्रेष्ठाञ्छ्रेष्ठेषु कच्चित् एवं कर्मसु नियोजयसि।

व्याख्या: ये रिक्त स्थान पाठ के श्लोकों से लिए गए हैं, जो शासन की सूक्ष्मताओं को दर्शाते हैं।

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प्रश्न 3: सप्रसङ्ग मातृभाषया व्याख्यायेताम्

(क) मन्त्री विजयमूलं हि राज्ञा भवति राघव!

📌 प्रसंग: श्रीराम भरत को शासन में मंत्रणा की महत्ता समझाते हैं।

📌 सरलार्थ: अच्छी और गोपनीय मंत्रणा ही राजा की विजय का मूल कारण होती है।

📌 व्याख्या: यदि राजा योग्य मंत्रियों से सलाह लेता है और उसे गोपनीय रखता है, तो उसका शासन सफल होता है।

(ख) कच्चित्ते मन्त्रितो मन्त्रो राष्ट्रं न परिधावति।

📌 प्रसंग: श्रीराम भरत से पूछते हैं कि क्या मंत्रणा गोपनीय रहती है।

📌 सरलार्थ: कहीं तुम्हारी मंत्रणा राष्ट्र में फैल तो नहीं जाती?

📌 व्याख्या: शासन में गोपनीयता अत्यंत आवश्यक है। मंत्रणा यदि सार्वजनिक हो जाए तो शत्रु उसका दुरुपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 4: प्रथमनवमश्लोकयोः स्वमातृभाषया अनुवादः

(1) रामः ददर्श दुर्दर्श युगान्ते भास्करं यथा

👉 अनुवाद: राम ने भरत को देखा जैसे युग के अंत में सूर्य को देखना कठिन होता है।

(2) कच्चित्ते मन्त्रितो मन्त्रो राष्ट्रं न परिधावति

👉 अनुवाद: क्या तुम्हारी मंत्रणा इतनी गोपनीय है कि वह राष्ट्र में नहीं फैलती?

व्याख्या: ये श्लोक श्रीराम के भाव और शासन की गंभीरता को दर्शाते हैं।

प्रश्न 5: अधोलिखितपदाना उचितमर्थ कोष्ठकात् चित्वा लिखत

संस्कृत शब्दअर्थ (हिंदी में)
दुर्दर्शम्कठिनाई से देखने योग्य
परिष्वज्यआलिंगन करके
मूर्ध्निशिर में
निःश्रेयसम्परम कल्याण
निपुणःदक्ष, कुशल

व्याख्या: शब्दार्थ छात्रों को श्लोकों की गहराई समझने में मदद करते हैं।

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प्रश्न 6: प्रथमनवमश्लोकयोः स्वमातृभाषया अनुवादः क्रियताम्

(1) रामः ददर्श दुर्दर्श युगान्ते भास्करं यथा

👉 अनुवाद: राम ने भरत को देखा जैसे युग के अंत में सूर्य को देखना कठिन होता है।

📌 व्याख्या: यह श्लोक भरत के वनवासी रूप को देखकर राम की भावनाओं को दर्शाता है — जैसे दुर्लभ दृश्य को देखना।

(2) कच्चित्ते मन्त्रितो मन्त्रो राष्ट्रं न परिधावति

👉 अनुवाद: क्या तुम्हारी मंत्रणा इतनी गोपनीय है कि वह राष्ट्र में नहीं फैलती?

📌 व्याख्या: श्रीराम भरत से पूछते हैं कि क्या उनकी मंत्रणा गोपनीय रहती है, क्योंकि शासन में गोपनीयता अत्यंत आवश्यक है।

प्रश्न 7: अधोलिखितपदाना उचितमर्थ कोष्ठकात् चित्वा लिखत

संस्कृत शब्दअर्थ (हिंदी में)
दुर्दर्शम्कठिनाई से देखने योग्य
परिष्वज्यआलिंगन करके
मूर्ध्निसिर में
निःश्रेयसम्परम कल्याण
निपुणःदक्ष, कुशल

व्याख्या: यह अभ्यास छात्रों को शब्दों के अर्थ और संदर्भ समझने में मदद करता है, जिससे वे श्लोकों को बेहतर ढंग से आत्मसात कर सकें।

अतिरिक्त व्याकरण आधारित अभ्यास (Grammar Focus)

(अ) शब्द रूप – पुल्लिंगः ‘राजा’ शब्द का रूप (प्रथमा से सप्तमी तक)

विभक्तिएकवचनद्विवचनबहुवचन
प्रथमाराजाराजानौराजानः
द्वितीयाराजानम्राजानौराज्ञः
तृतीयाराज्ञाराजाभ्याम्राजभिः
चतुर्थीराज्ञेराजाभ्याम्राजभ्यः
पंचमीराज्ञःराजाभ्याम्राजभ्यः
षष्ठीराज्ञःराज्ञोःराज्ञाम्
सप्तमीराज्ञिराज्ञोःराजसु

(ब) धातु रूप – ‘गम्’ धातु (लट् लकार, प्रथम पुरुष)

एकवचनद्विवचनबहुवचन
गच्छतिगच्छतःगच्छन्ति

टिप: ये रूप परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं — विशेष रूप से शब्द रूप और धातु रूप के साथ वाक्य निर्माण।

निष्कर्ष (Conclusion):

“कुशलप्रशासनम्” केवल एक संस्कृत पाठ नहीं, बल्कि एक आदर्श शासन की नींव है। श्रीराम द्वारा भरत को दिए गए उपदेश आज भी प्रशासन, नेतृत्व और नीति के लिए प्रासंगिक हैं। इस पाठ के माध्यम से छात्र न केवल संस्कृत भाषा की गहराई को समझते हैं, बल्कि एक राजा के गुण, मंत्रणा की गोपनीयता, योग्य अमात्य और सेनापति की भूमिका को भी सीखते हैं।

Convex Classes Jaipur द्वारा प्रस्तुत यह विस्तृत समाधान छात्रों को परीक्षा में आत्मविश्वास, स्पष्टता और गहन समझ प्रदान करता है। व्याकरण, श्लोक अनुवाद, शब्दार्थ और अभ्यास प्रश्नों की पूरी श्रृंखला इस पाठ को संपूर्ण रूप से समझने में सहायक है।

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